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सहकार भारती राष्ट्रीय कार्यकारिणी प्रस्ताव: पृथक सहकारिता मंत्रालय स्थापित होI

 Executive Committee Meeting dated 27th and 28th February 2021 held at NCUI, Delhi.

प्रस्ताव – 2

पृथक सहकारिता मंत्रालय स्थापित होI

सहकार भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी यह प्रस्ताव रखती है कि केंद्रीय स्तर पर एक पृथक सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की जाए।

सहकारी संस्थाएं समूह आधारित समग्र आर्थिक विकास की परिकल्पना के साथ काम करती है। अपने सदस्यों को आर्थिक शक्ति देकर उनका आत्मविश्वास बढ़ाना और उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर करना सरकारी संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य है। सरकारी संस्थाएं जो भी लाभ अर्जित करती है वह पुनः चक्रीत होकर उनके सदस्यों के उत्थान में ही लगता है। यद्यपि लाभ अर्जन इन सहकारी संस्थाओं का मूल उद्देश्य नहीं है, परंतु इनका आर्थिक रूप से व्यवहार्य होना भी अति आवश्यक है।

सहकार भारती का मानना है कि, सहकारी संस्था एक उद्यमी संस्था है तथा ओनरशिप का एक अलग मॉडल है। कमजोर और अक्षम सहकारी संस्थाएं अपने सदस्यों का भी भला नहीं कर सकती है। ऐसे कमजोर और छोटे स्तर की सरकारी संस्थाओं को सक्षम बनाने के लिए अलग से सरकारी मंत्रालय की स्थापना होनी चाहिए।

97 वे संविधान संशोधन के तहत अपने देश में सहकारी समितियों का गठन करना मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकृत किया गया है। अतः सहकारिता क्षेत्र का समुचित विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इस परिप्रेक्ष्य में भी सहकारिता क्षेत्र का समुचित योगदान स्थायी आर्थिक विकास में संभव है।

सहकारी संस्थाओं के कार्यकल्प को समग्र रूप से देखने, समझने और इनको विकसित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता काफी लंबे समय से महसूस की जा रही है।

केंद्र स्तर पर एक पृथक सहकारिता मंत्रालय की स्थापना होने से राष्ट्रीय स्तर पर एक समग्र दृष्टिकोण और नीति स्थापित करने में सहायता मिलेगी और केंद्र से लेकर ग्राम स्तर तक एक समान विचारधारा, कार्यनीति और प्रबंधन तंत्र से युक्त लाभकारी और सदस्यों के विकास के प्रति समर्पित सहकारी संस्थाओं का विकास संभव हो पाएगा।

वर्तमान समय में देश में 8 लाख 35 हजार सहकारी संस्थाएं हैं जिनमें लगभग 30 करोड़ सदस्य है। जनसंख्या का इतना बड़ा भाग सहकारिता से जुड़ा है।

अतः सहकार भारती राष्ट्रीय कार्यकारिणी यह मांग रखती है कि केंद्रीय स्तर पर एक पृथक सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की जाए।

सहकारी संस्थाओं के कार्यकल्प को समग्र रूप से देखने, समझने और इनको विकसित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता काफी लंबे समय से महसूस की जा रही है।

केंद्र स्तर पर एक पृथक सहकारिता मंत्रालय की स्थापना होने से राष्ट्रीय स्तर पर एक समग्र दृष्टिकोण और नीति स्थापित करने में सहायता मिलेगी और केंद्र से लेकर ग्राम स्तर तक एक समान विचारधारा, कार्यनीति और प्रबंधन तंत्र से युक्त लाभकारी और सदस्यों के विकास के प्रति समर्पित सहकारी संस्थाओं का विकास संभव हो पाएगा।

वर्तमान समय में देश में 8 लाख 35 हजार सहकारी संस्थाएं हैं जिनमें लगभग 30 करोड़ सदस्य है। जनसंख्या का इतना बड़ा भाग सहकारिता से जुड़ा है।

अतः सहकार भारती राष्ट्रीय कार्यकारिणी यह मांग रखती है कि केंद्रीय स्तर पर एक पृथक सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की जाए।

प्रस्तावित: श्रीमती शताब्दी पांडे

अनुमोदित: श्री सथिशचंद्र

सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ।

 

डॉ उदय जोशी राष्ट्रीय महामंत्री

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