Saturday, December 21PROUD TO BE A COOPERATOR

Cooperative: Definition and Principle

सहकारिता परिभाषा एवं सिद्धांत परिभाषा    

सहकारी समिति व्यक्तियों की एक ऐसी स्वायत्त संस्था है जो संयुक्त स्वामित्व वाले और लोकतांत्रिक आधार पर नियंत्रित उद्यम के जरिए अपनी समान्य, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वेच्छा से एकजुट होते हैं। सम्पूर्ण विश्व भर में, 100 मिलियन से अधिक महिला एवं पुरुष सहकारी कार्मिकों तथा 800 मिलियन से अधिक व्यक्तिगत सदस्यों ने छोटे पैमाने से लेकर कई मिलियन डॉलर के व्यवसायों तक अपनी पहुँच बनाई है ।

मान सहकारिताएं आत्म-सहायता, स्व- उत्तरदायित्व, लोकतंत्र, समानता, समता और एकजुटता के मूल्यों पर आधारित हैं। अपने संस्थापकों की परंपरा का अनुसरण करते हुए सहकारिता के सदस्य ईमानदारी, खुलापन, सामाजिक उत्तरदायित्व और परहित चिंतन जैसे नैतिक मूल्यों का भी अनुसरण करते हैं. 


सिद्धांत 

सहकारी सिद्धांत वे मार्गदर्शिकाएँ हैं जिनके द्वारा सहकारिताएं अपने मूल्यों को व्यवहार में लाती हैं।

पहला सिद्धांत : स्वैच्छिक और खुली सदस्यता सहकारिता समितियाँ ऐसे स्वैच्छिक संगठन हैं जो सभी लोगों के लिए खुले हैं जो उनकी सेवाओं का उपयोग करने में समर्थ हैं और लैंगिक, सामाजिक, जातीय, राजनीतिक या धर्म के आधार पर भेदभाव किये बगैर सदस्यता के उत्तरदायित्वों को स्वीकार करने के लिए तैयार है । 

दूसरा सिद्धांत : प्रजातांत्रिक सदस्य-नियंत्रण सहकारी समितियाँ अपने सदस्यों द्वारा नियंत्रित प्रजातांत्रिक संगठन हैं जो उनकी नीतियाँ निर्धारित करने और निर्णय लेने में सक्रिय तौर पर भाग लेते हैं । चुने गये प्रतिनिधियों के रूप में कार्यरत पुरूष तथा महिलाएं अपने सदस्यों के प्रति जवाबदेह होते हैं । प्राथमिक सहकारी समितियों में सदस्यों के मतदान करने के समान अधिकार होते हैं । (एक सदस्य, एक मत) और दूसरे स्तरों पर भी सहकारी समितियाँ प्रजातांत्रिक तरीके से आयोजित की जाती हैं । 

तीसरा सिद्धांत : सदस्य की आर्थिक भागीदारी सदस्य समान रूप में अंशदान करते हैं और अपनी सहकारी समिति की पूंजी पर प्रजातांत्रिक तरीके से नियंत्रण रखते हैं । कम से कम इस पूंजी का एक हिस्सा आमतौर पर सहकारी समिति की सांझी सम्पत्ति होती है । सदस्यता की शर्त के रूप में अंशदान की गई पूंजी पर सदस्यों को आमतौर पर समिति प्रतिकर, यदि कोई हो मिलता है । सदस्य अधिकोषण पूंजी की निम्नलिखित किसी एक या सभी प्रयोजनों के लिए आवंटित करते हैं सम्भवतः आरक्षित निधियां स्थापित करके जिनका कम से कम एक भाग अभिभाज्य होगा, सहकारी समिति के साथ उनके लेन-देनों के अनुपात में सदस्यों को लाभ पहुंचाकर और सदस्यों द्वारा अनुमोदित अन्य कार्यकलापों में सहायता देकर अपने सहकारी समिति का विकास करेगा । 

चौथा सिद्धांत : स्वायत्तता और स्वतंत्रता सहकारी समितियाँ अपने सदस्यों द्वारा नियंत्रित एवं स्वावलम्बी संस्थाएं होती हैं । यदि वे सरकार सहित अन्य संगठनों के साथ करार करती हैं अथवा बाहरी स्रोतों से पूंजी जुटाती हैं, तो वे ऐसा उन शर्तों पर करती है जिनसे उनके सदस्यों द्वारा प्रजातांत्रिक नियंत्रण सुनिश्चित होता हो और उनकी सहकारी स्वायत्तता भी बनी रहती हो। 

पांचवा सिद्धांत : शिक्षा, प्रशिक्षण और सूचना सहकारी समितियाँ अपने सदस्यों, चुने गये प्रतिनिधियों, प्रबन्धकों तथा कर्मचारियों को शिक्षा और प्रशिक्षण उपलब्ध कराती है । ताकि वे अपनी सहकारी समितियाँ के विकास में कारगर योगदान कर सके । वे आम जनता विशेषरूप से युवाओं और परामर्शी नेताओं को, सहकारिता के स्वरूप और लाभों के बारे में सूचना देती है । 

छठा सिद्धांत : सहकारी समितियों में परस्पर सहयोग सहकारी समितियाँ अपने सदस्यों की सर्वाधिक कारगर ढंग से सेवा करती है और स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ढांचों के जरिए साथ-साथ काम करके सहकारिता आन्दोलन को सुदृढ़ बनाती है। 

सातवा सिद्धांत : समुदाय के लिए निष्ठा सहकारी समितियाँ अपने सदस्यों द्वारा अनुमोदित नीतियों के द्वारा अपने समुदायों के स्थाई विकास के लिए कार्य करती हैं ।

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